विज्ञापन से मिलने वाला अनुमानित रेवेन्यू
जानें कि विज्ञापन से मिलने वाले रेवेन्यू पर किन चीज़ों का असर पड़ता है
अनुमान लगाना कि आपको विज्ञापन से कितना रेवेन्यू मिल सकता है
अगर अपनी साइट के लिए विज्ञापन पहले से बेचे जा रहे हैं या आपको विज्ञापन बेचने हैं, तो यह कैलकुलेटर इन कामों में आपकी मदद करता है:
- यह जानना कि आपकी साइट के ट्रैफ़िक के हिसाब से, क्या विज्ञापन दिखाने पर होने वाला निवेश आपके लिए सही रहेगा
- यह पता लगाना कि विज्ञापन से मिलने वाले रेवेन्यू पर किन चीज़ों का असर पड़ता है
- यह पता लगाना कि विज्ञापन से मिलने वाले रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए किन चीज़ों पर फ़ोकस करना चाहिए
यह कैलकुलेटर इन चीज़ों का सिर्फ़ अनुमान लगाता है. इसलिए, इन्हें सटीक वैल्यू न समझें और इनका इस्तेमाल सिर्फ़ रेफ़रंस के तौर पर करें.
विज्ञापन से मिलने वाले रेवेन्यू पर किन चीज़ों का असर पड़ता है?
विज्ञापन से मिलने वाला रेवेन्यू पर विज्ञापन बेचने की कीमत और विज्ञापन की संख्या का असर पड़ता है:
- कीमत को हर हज़ार इंप्रेशन की लागत या सीपीएम या आपके रेट कार्ड पर दिए गए फ़्लैट रेट से मापा जाता है
- विज्ञापन की संख्या को दिखने वाले इंप्रेशन और बिक्री की दर से मापा जाता है. इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि विज्ञापन की बिक्री सीधे तौर पर की जा रही है या प्रोग्रैम्ड तरीके से. दिखने वाले इंप्रेशन विज्ञापन यूनिट, पेज व्यू, और विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़ों पर निर्भर करते हैं.
आपको विज्ञापन से मिलने वाले कुल रेवेन्यू में, सीधे तौर पर बेचे गए विज्ञापनों से होने वाला रेवेन्यू और प्रोग्रैम्ड तरीके से बेचे गए विज्ञापनों से होने वाला रेवेन्यू शामिल होता है.
हम हर मेट्रिक के बारे में आपको जानकारी देंगे. साथ ही, यह भी बताएंगे कि इनका हिसाब कैसे लगाया जाता है और इन्हें बेहतर करने के सबसे सही तरीके क्या हैं.
विज्ञापन से मिलने वाले रेवेन्यू का हिसाब लगाने का तरीका क्या है?
पहला चरण
दिखने वाले इंप्रेशन का हिसाब लगाएं:
दिखने वाले इंप्रेशन = विज्ञापन यूनिट × पेज व्यू × विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़े
दूसरा चरण
ऊपर दिए गए फ़ॉर्मूले से मिली वैल्यू को 1,000 से भाग दें:
दिखने वाले इंप्रेशन / 1,000
तीसरा चरण
अब इस वैल्यू को हर हज़ार इंप्रेशन की लागत (सीपीएम) और बिक्री की दर (एसटीआर) से गुणा करें:
(दिखने वाले इंप्रेशन / 1,000) × हर हज़ार इंप्रेशन की लागत × बिक्री की दर
💡 सबसे सही तरीका: अगर आपके पास इनमें से कोई भी मेट्रिक नहीं है, तो इंडस्ट्री के औसत के हिसाब से मौजूद वैल्यू का इस्तेमाल करें. हमने इन्हें आपके लिए पहले ही शामिल कर दिया है!
1. विज्ञापन यूनिट
विज्ञापन यूनिट ऐसी जगहें होती हैं जहां आपकी वेबसाइट या ऐप्लिकेशन पर विज्ञापन दिखाए जाते हैं.
हर पेज के हिसाब से विज्ञापन यूनिट का असर अन्य मेट्रिक पर पड़ता है. विज्ञापन यूनिट जोड़ने से आपकी साइट पर लोगों को मिलने वाले अनुभव पर असर पड़ता है. इसलिए, लोगों को साइट पर जितना अच्छा अनुभव मिलेगा उतना ही विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़ों में बढ़ोतरी होगी.
हर पेज पर विज्ञापन यूनिट की तय संख्या और विज्ञापन यूनिट की कीमतें विज्ञापन के टाइप, साइज़, और प्लेसमेंट के हिसाब से अलग-अलग होती हैं. हर पेज के हिसाब से औसत विज्ञापन यूनिट का इस्तेमाल करें.
💡 सबसे सही तरीके:
- अगर आपको हर पेज के हिसाब से अपनी विज्ञापन यूनिट के बारे में नहीं पता है, तो अपनी साइट के होम पेज पर दिखने वाले सभी विज्ञापनों की गिनती करें.
- प्रीमियम विज्ञापन यूनिट का ऑफ़र दें, जैसे कि पहली नज़र में दिखने वाले विज्ञापन या विज्ञापन के ऐसे फ़ॉर्मैट जो ज़्यादा इंटरैक्टिव हों
- पेज पर विज्ञापनों के मुकाबले ज़्यादा लेख या कॉन्टेंट दिखाएं.
2. पेज व्यू
पेज व्यू का मतलब है कि आपकी साइट के पेजों को कुल कितनी बार लोड किया गया. अगर कोई व्यक्ति पेज पर पहुंचने के बाद, 'पेज फिर से लोड करें' पर क्लिक करता है या पेज पर वापस आता है, तो इसे दूसरे पेज व्यू के तौर पर गिना जाता है. आपके पेजों पर विज्ञापन मौजूद होते हैं, इसलिए पेज व्यू और विज्ञापन व्यू एक-दूसरे से जुड़े होते हैं.
अगर आपको यह नहीं पता है कि एक महीने में आपको कुल कितने पेज व्यू मिले हैं, तो महीने के हिसाब से ऐक्टिव उपयोगकर्ता (एमएयू) की संख्या को हर विज़िट के हिसाब से मिले पेज व्यू और हर उपयोगकर्ता के एक महीने के विज़िट की संख्या से गुणा करें.
क्या साइट पर कम ट्रैफ़िक आने से, विज्ञापन से मिलने वाले रेवेन्यू में कमी आती है?
ऐसा ज़रूरी नहीं है. यह विज्ञापन बेचने के आपके तरीके पर निर्भर करता है: उदाहरण के लिए, यह मुमकिन है कि प्रोग्रैम्ड तरीके से विज्ञापन बेचने पर आपको ज़्यादा रेवेन्यू न मिल रहा हो. ऐसे में, हो सकता है कि सीधे तौर पर विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां चुनिंदा ऑडियंस तक पहुंचने के लिए आपको ज़्यादा सीपीएम देने के लिए तैयार हों.
💡सबसे सही तरीका: हमारे ऑडियंस लेसन से ट्रैफ़िक में बढ़ोतरी करने के तरीके के बारे में ज़्यादा जानें.
3. विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़े
विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़ों की गणना तब की जाती है, जब डिसप्ले विज्ञापन का कम से कम 50% हिस्सा कम से कम एक सेकंड के लिए दिखता है. वीडियो विज्ञापन के लिए यह अवधि दो सेकंड होती है.
विज्ञापन देने वाले कई लोग या कंपनियां, खरीदे गए कुल विज्ञापनों में से कम दिखने वाले विज्ञापनों को हटा देती हैं. साथ ही, उन्हें विज्ञापन दिखने के आंकड़ों के थ्रेशोल्ड को हासिल करने के लिए विज्ञापन कैंपेन की ज़रूरत पड़ती है. जैसे, Interactive Advertising Bureau (IAB) का सुझाया गया, विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़ों के लिए थ्रेशोल्ड 70% है.
विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़ों से दूसरी मेट्रिक पर असर पड़ता है:
- विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़े में हर 1% की बढ़ोतरी होने पर, पब्लिशर को सीपीएम में 2% बढ़ोतरी देखने को मिलती है
- जब विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़े 10% पर हों, तो इसकी तुलना में विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़े 70% से 80% होने पर, सीपीएम चार गुणा ज़्यादा होता है.
- आपकी विज्ञापन यूनिट के साइज़, टाइप, और उसकी जगह से विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़ों पर असर पड़ेगा
💡 विज्ञापन दिखने से जुड़े आंकड़ों में बढ़ोतरी करने के सबसे सही तरीके:
- विज्ञापनों का प्लेसमेंट पेज के ऊपरी हिस्सा पर करें, ताकि वे बिना स्क्रोल किए ही दिखें. पेज के इस हिस्से को 'अबव-द-फ़ोल्ड' भी कहा जाता है.
- विज्ञापनों का प्लेसमेंट, स्क्रीन पर नीचे की ओर करें. इसे व्यूपोर्ट भी कहा जाता है.
- विज्ञापनों का प्लेसमेंट, पेज पर सबसे ऊपर करने के बजाय, नेविगेशन बार के ठीक नीचे करें.
इंप्रेशन से जुड़े आपके आंकड़े काफ़ी शानदार हैं!
अब आपको पता चल गया है कि दिखने वाले कुल इंप्रेशन कितने हैं. इससे पता चलता है कि आपके पास कितनी विज्ञापन इन्वेंट्री उपलब्ध है.
विज्ञापन इन्वेंट्री की वैल्यू पर किन चीज़ों का असर पड़ता है?
विज्ञापन बड़ी संख्या में बेचे जाते हैं. विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां हर 1,000 इंप्रेशन के लिए कीमत लगाती हैं. इस कीमत को हर हज़ार इंप्रेशन की लागत (सीपीएम) कहते हैं.
ज़्यादातर पब्लिशर अपने सभी इंप्रेशन नहीं बेचते. बिक्री की दर (एसटीआर) की गणना करने के लिए, आपके बेचे गए विज्ञापन के दिखने वाले इंप्रेशन की संख्या को विज्ञापन दिखने वाले इंप्रेशन से भाग किया जाता है.
💡 सबसे सही तरीका: विज्ञापनों का प्लेसमेंट संवेदनशील ताज़ा खबरों, खराब मौसम से जुड़ी खबरों या ऐसे अन्य कॉन्टेंट के बगल में न करें जहां विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनियां अपना विज्ञापन नहीं दिखाना चाहतीं.
4. विज्ञापनों को बेचने का तरीका चुनें
इसके बाद, चुनें कि आपको सीधे तौर पर या प्रोग्रैम्ड तरीके से कितने विज्ञापन बेचने हैं और हाउस विज्ञापनों के लिए कितने विज्ञापन बचाने हैं.
मैं यह कैसे तय करूं कि मुझे सीधे तौर पर विज्ञापन बेचने चाहिए या प्रोग्रैम्ड तरीके से?
औसतन, समाचार संगठन 75% विज्ञापन सीधे तौर पर बेचते हैं और 25% विज्ञापन प्रोग्रैम्ड तरीके से बेचते हैं.
अगर आपको 100% विज्ञापन नहीं बेचने हैं, तो सीधे तौर पर बेचे जाने वाले विज्ञापनों की संख्या कम करें. सीधे तौर पर बेचे जाने वाले विज्ञापन, ज़्यादा कीमत (10 से 20 डॉलर सीपीएम) पर बिकते हैं, लेकिन सभी विज्ञापन नहीं बिक पाते (इनकी बिक्री की दर 60 से 80% होती है).
ज़्यादा कीमत होने के बावजूद, सीधे तौर पर बेचे जाने वाले विज्ञापनों की संख्या कम करने से, नहीं बिकने वाली इन्वेंट्री कम हो जाती है. इससे उन विज्ञापनों को प्रोग्रैम्ड तरीके से बेचा जा सकता है.
हाउस विज्ञापन क्या होते हैं?
हाउस विज्ञापन आपकी साइट या ऐप्लिकेशन पर मौजूद ऐसे विज्ञापन होते हैं जो आपके समाचार संगठन या उसके प्रॉडक्ट का प्रमोशन करते हैं. हाउस विज्ञापन बिना कोई शुल्क दिए आपकी विज्ञापन इन्वेंट्री का इस्तेमाल करते हैं.
अपनी ही विज्ञापन इन्वेंट्री का इस्तेमाल करना थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन जब कोई विज्ञापन न बिका हो, तब हाउस विज्ञापन दिखाए जा सकते हैं. हाउस विज्ञापनों से आपको दूसरी तरह के रेवेन्यू कमाने में मदद मिल सकती है. अगर आपका संगठन सदस्यताएं उपलब्ध कराता है, तो हाउस विज्ञापन का इस्तेमाल इन सदस्यताओं का प्रमोशन करने के लिए किया जा सकता है. इससे आपको विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों की बजाय, सदस्य से रेवेन्यू मिलता है.
5. सीधे तौर पर बेचे जाने वाले विज्ञापनों के लिए सीपीएम और एसटीआर
सीधे तौर पर विज्ञापन बेचने का मतलब है कि विज्ञापन सीधे क्लाइंट को बेचे जा रहे हैं और इस दौरान कोई भी तीसरा पक्ष शामिल नहीं है. प्रोग्रैम्ड तरीके से बेचे जाने वाले विज्ञापनों के मुकाबले, सीधे तौर पर बेचे जाने वाले विज्ञापनों से दो से तीन गुना ज़्यादा रेवेन्यू मिलता है.
सीधे तौर पर बेचे जाने वाले विज्ञापनों के लिए सीपीएम 10 से 20 डॉलर होती है और बिक्री की दर 60 से 80% के बीच होती है.
सीधे तौर पर विज्ञापन कैसे बेचे जाते हैं?
- सीपीएम वह कीमत होती है जो विज्ञापन देने वाले लोग या कंपनी हर 1,000 इंप्रेशन के लिए चुकाती है
- स्पॉन्सरशिप उसे कहते हैं जब विज्ञापन देने वाले एक व्यक्ति या कंपनी को विज्ञापन फ़ॉर्मैट, साइज़ या प्लेसमेंट खास तौर पर बेचे जाते हैं, जैसे कि होमपेज टेकओवर (पूरे होम पेज पर एक ही कंपनी के विज्ञापन दिखाना). आम तौर पर, इन्हें एक ही कीमत पर बेचा जाता है, जैसे कि हर महीने के टेकओवर के लिए 5,000 डॉलर.
- व्यापकता उसे कहते हैं जब विज्ञापन देने वाले कई लोगों या कंपनियों को विज्ञापन बेचे जाते हैं और हर किसी को इंप्रेशन कुछ प्रतिशत मिलता है. अगर विज्ञापन देने वाले दो लोगों या कंपनियों के साथ होम पेज टेकओवर किया जाता है, तो हर कंपनी को कुल इंप्रेशन का 50% हिस्सा मिलता है.
6. प्रोग्रैम्ड तरीके से बेचे गए विज्ञापनों के लिए सीपीएम और एसटीआर
प्रोग्रैम्ड तरीके से विज्ञापन बेचने का मतलब है कि किसी ऑटोमेटेड प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिए विज्ञापन बेचे जाएं. जैसे, Google Ad Manager.
प्रोग्रैम्ड तरीके से बेचे गए विज्ञापनों के लिए सीपीएम 1 से 5 डॉलर होती है. बिक्री की दर में 90 से 100%. रहती है
प्रोग्रैम्ड तरीके से विज्ञापन कैसे बेचे जाते हैं?
प्रोग्रैम्ड तरीके से विज्ञापन बेचने की प्रोसेस अलग-अलग होती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि विज्ञापन किसे बेचे जा रहे हैं और वे इनके लिए कितने पैसे चुकाए जा रहे हैं:
- खुली नीलामी: इसमें विज्ञापन देने वाले सभी लोगों या कंपनियों को अपने विज्ञापन खरीदने का ऑफ़र दिया जाता है और वे रीयल टाइम में इसके लिए बिड लगाती हैं.
- निजी नीलामी: इसमें विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों के एक ग्रुप को विज्ञापन खरीदने का ऑफ़र दिया जाता है और वे रीयल टाइम में इसके लिए बिड लगाती हैं
- पसंदीदा डील: इसमें विज्ञापन देने वाले किसी एक व्यक्ति या कंपनी को विज्ञापन खरीदने का ऑफ़र सबसे पहले दिया जाता है. इसके लिए वह पहले से तय कीमत चुकाती है
- गारंटी के साथ डील: इसमें विज्ञापन देने वाले किसी एक व्यक्ति या कंपनी को विज्ञापन खरीदने का ऑफ़र दिया जाता है. इसके लिए वह पहले से तय कीमत चुकाती है
प्रोग्रैम्ड तरीके से बेचे जाने वाले विज्ञापनों की कीमतों में अंतर कैसे आता है?
- खुली नीलामी में सीपीएम कम होता है, लेकिन बिक्री की दर सबसे ज़्यादा होती है
- निजी नीलामी में बिक्री की दर कम होती है, लेकिन सीपीएम ज़्यादा रहता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें विज्ञापन देने वाले ज़्यादा लोग या कंपनियां नहीं होतीं
- पसंदीदा और गारंटी के साथ वाली डील में सीपीएम सबसे ज़्यादा मिल सकता है, लेकिन इसमें बिक्री की दर कम रहती है
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